बन्दा सिंह बहादुर

         बन्दा सिंह बहादुर 

बन्दा सिंह बहादुर का पुराना नाम माधव दास बैरागी था, माधव दास ने 15 साल की उम्र में तपस्वी बनने के लिए घर छोड़ दिया था फिर उनका नाम माधो दास बैरागी नाम दिया गया. वीर माधव दास ने गोदावरी नदी के पर नांदेड में एक मठ की स्थापना की 1707 में  गुरु गोविदं सिंह ने बहादुर शाह से मिलने का निमंत्रण स्वीकार किया.

गुरु गोविन्द सिंह ने 1708 ई. में माधव दास से पहली मुलाकात की थी. माधव दास का मूल नाम Laxman देव मन्हास था बाद में इनका नाम माधव दास हुआ गुरु गोविन्द सिंह जी को इनकी मुलाकात नांदेड ( आंध्र प्रदेश )  नामक स्थान पर हुई थी

गुरु गोविन्द सिंह से प्रभावित हो कर माधव दास ने खुद को गुरु का बंदा कह दिया उस दिन से गुरु गोविन्द सिंह ने इनका नाम बंदा सिंह नाम दे दिया बंदा सिंह ने मुगलों का अजय होने का भरम तोड़ दिया और बंदा सिंह ने साहबजादो की शाहदत का बदला दिया

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बंदा सिंह जी ने ‘खालसा राज’  की राजधानी लोहगढ़ में सिख राज्य की नींव रखी और बंदा सिंह ने गुरु नानक देव व गुरु गोविन्द के नाम के सिक्के भी जारी किये थे.

गुरु नानक देव व गुरु गोविन्द के नाम के सिक्के
गुरु नानक देव व गुरु गोविन्द के नाम के सिक्के
  • जन्म –  27 अक्टूबर 1670 ( राजौरी )
  • मौत –  9 जून 1716 ( उम्र -45 ) दिल्ली
बन्दा सिंह बहादुर 
बन्दा सिंह बहादुर

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